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दरिन्दगी

कुछ कहना है कुछ करना है!
कुछ कहना है कुछ करना है!
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आखिर वही हुआ जिसका डर पहले ही दिन से हमारे दिलो मे बैठ गया था , परन्तु हम किसी चमत्कार की आशा मे अपने दिल को बहला रहे थे कि काश ईश्वर कोई चमत्कार कर दे और उसे वह जीवन दे दे जिसे वह शिद्दत के साथ जीना चाहती थी उसके हौसलो को बल दे दे जिसके सहारे वह खुले आसमान मे उँची उड़ान भरना चाहती थी , उसके वह ख्वाब हकीकत मे बदल दे जिन्हे पूरा करने के लिए वह अपना मूल आशियाना छोड़कर दिल्ली आयी थी . ….कभी कभी मन मे ये अहसास और दिल के किसी कोने मे ये अपरोध का बोध भी होता है कि हम भी धरती के इस एक कोने मे रहते है जहाँ यदा कदा नही अब तो बहुतायत से ऐसी घटनाएँ होने लगी है …और हम असहाय अपाहिज से इन घटनाओ को रोजाना देखते सुनते हुए ढोते जाते है …पिछले साल के आज ही के दिनो मे हम सब ने मिलकर कितनी मनौतियाँ की थी कि हे 2012 तुम्हारा स्वागत है तुम हम सबके जीवन मे बहार बन के आओ , लोगो के जीवन मे खुशियाँ लाओ जो 2011 मे बुरा हुआ उसे हम भूल जाते है लेकिन आने वाला कल इससे भी अच्छा हो …मगर क्या ये नही लगता कि हर आने वाला कल आने वाला दिन और भी भयावह होता जा रहा है , हम ऐसे हर दिन हर पल को एक आशा और विश्वास के साथ पीछे छोड़ते जाते है कि अब जो हुआ सो हुआ आओ मिल कर आगे बढ़ते है और एक नया इतिहास बनाते है …पर हर साल हर दिन एक ऐसा इतिहास बन जाता है जो साल दर साल तक मानव सभ्यता की जड़ो को हिलाता जाता है ।
ऐसी घटनाएँ होती है तो कुछ लोगो के इतने आँसू बह बहकर सूख जाते है कि फिर उनमे इतनी नमी नही बच पाती कि वे दोबारा फिर से आँसू बहाकर दिलो के छोटे मोटे गमो को हल्का कर सके वही कुछ ऐसे राजनीतिक दुकानदार है जिन्हे ऐसी घटनाओ पर अपना नफा नुकसान साधने भर की चिन्ता लगी रहती है ।
कभी कभी दिल को ये सवाल बहुत कचोटता है कि ये कुदरत का कौन सा नियम है कौन सा कानून है कि जिन लोगो के दिलो मे ऐसी बुराईयो को मिटाने का लड़ने का जज्बा है हौसला है उन्हे तो वह सत्ता सिँहासन से दूर रखता है , और जो कुटिल है कपटी है जिनकी सँवेदनाएँ मर गयी है जिन्हे आमजन या तो वोटर या फिर उसके बाद पाँच साल तक भेड़ बकरिया दिखती है ,उन्हे ऐसे पदो पर क्यो बिठाता है जहाँ से बैठकर वह न्याय नही कर पाते ।
आज जबकि सारा बुध्दिजीवी समाज दिन रात गला फाड़ फाड़कर कह रहा है कि इस अँग्रेजी हितेषी अँग्रेजो के काले कानून को बदल दो तो ये फिर किसके लिए ऐसे कानून को ढोते जा रहे है क्यो कोई ठोस आश्वासन नही देते कि जिन दरिन्दो ने ऐसी दरिन्दगी की है वे मानव रुप मे राक्षस है उन्हे एक पल भी इस धरती पर बोझ के रुप मे स्वीकार नही किया जायेगा , ऐसे एक दो तीन नही सभी के सभी को इस अपवित्र जीवन से मुक्त कर दिया जाना चाहिए ।
आज ये सवाल हम सभी के सामने है कि क्या ऐसा होगा ? जो काम रातो रात होना चाहिए कही उसे होने मे सदियाँ न बीत जाय ।
आज जबकि करोड़ो देशवासियो की ब्यथा बेचैनी से उठ रही दुआओ के असर से कोहरे के रुप मे ये प्रक्रति रात रात भर रोती है पर इन दरिन्दो की दरिन्दगी पर ये असँवेदनशील सरकार कुछ सार्थक पहल करती नही दिखती जिससे कि दुबारा ऐसी घ्रणित घटनाएँ न हो ।
उस जुझारु व सँघर्शशील महान आत्मा को हे ईश्वर शान्ति प्रदान करे …क्योकि आज के दिन इससे आगे कुछ और कहने की हिम्मत नही ….,

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