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जनपद मुख्यालय से मेरा गाँव दूर होने के कारण दैनिक जागरण 9 बजे के बाद ही पढ़ने को मिलता है ।
आज सुबह लम्बे इन्तजार के बाद जब पत्र हाथ मे आया तो देखते ही मन खिन्न हो उठा , प्रारम्भिक प्रष्ठ से अन्तिम प्रष्ठ तक ढेर सारे विज्ञापनो की भरमार ने मुझे प्रेरित किया कि क्यो न आज इसी विषय पर एक पोष्ट लिख डालूँ …।
जहाँ कल के जागरण पत्र मे कुल विज्ञापनो की सँख्या 33 थी वही आज उसकी छोटे बड़े( वर्गीक्रत को छोड़कर ) कुल मिलाकर सँख्या (63) दुगना हो गयी थी ।
माना कि समाचार पत्र के लागत खर्च का बड़ा हिस्सा इन्ही विज्ञापनो से ही आता है फिर भी सम्पादक मण्डल का ये प्रयास होना चाहिए कि समाचारो पर विज्ञापन हावी न होने पाये जिससे कि लोग इसे विज्ञापन जागरण कहने लगे ।
एक दलील ये भी दी जा सकती है कि किसी किसी दिन उल्लेखनीय सूचनाएँ व घटनाएँ नही होती तो मजबूरन विज्ञापन डालने पड़ते है …इस पर मेरा मानना है कि इस स्थिति मे भी सँतुलन की बहुत गुँजाइश है ….हमारे सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रो मे इतने सारे मुद्दे इतने सारे पहलू है कि जिन्हे हम यदि खगालने लगे तो रोजाना एक समाचार पत्र नही एक दैनिक पुस्तिका तैयार की जा सकती है …उदाहरण के लिए जैसे पिछले एक सप्ताह से भी अधिक दिनो से फतेहपुर जागरण प्रष्ठ पर रोजाना सरकारी जमीन व तालाबो पर भूमाफिया के कब्जे हटाने का अभियान बनाते हुए हेड लाइन दी जा रही है तथा इसी विषय पर आधा पेज भर दिया जाता है उसी प्रकार अन्य तमाम क्षेत्रो मे भी बहुत कुछ रोजाना कहा व लिखा जा सकता है ।
शाशन और प्रशाशन को क्रियाशील जवाबदेह व कर्तब्यो के प्रति उत्तरदायी बनाने मे मीडिया आज बहुत बड़ा योगदान दे रही है फिर भी सामाजिक क्षेत्र मे नैतिकता के निरन्तर व चिन्ताजनक पतन को देखते हुए ये प्रयास नगण्य है ।
हम सभी समाज से जुड़े ब्यक्ति एक दूसरे के पूरक है परन्तु कुछ सामाजिक सँस्थाएँ समाज के आधार स्तम्भ होते है , जिन्हे समाज के प्रति अधिक सँवेदनशील होना चाहिए यदि आज वे समय रहते नही चेती तो सभ्य समाज के निर्माण की कल्पना साकार नही होने वाली ।
जिस तरह दैनिक जागरण महानगरो से गाँवो तक पहुँचा है और खबरो मे विश्वशनीयता की उचाँइया छुयी है उसे प्रयास करना चाहिए इस विश्वसनीयता व भरोसे का इस्तेमाल वह और भी अच्छे ढ़ग से करते हुए समाज को एक दिशा प्रदान करे ।
आज बदलते व और मुश्किल समय मे जरुरत है कि जागरण प्रत्येक ब्लाक स्तर मे कुछ ईमानदार व निर्भीक खोजी पत्रकारो की टीम तैयार करे जो विभिन्न घटनाओ से सम्बन्धित जानकारियो को इकठ्ठा ही न करे वरन उस पर स्थलीय विवेचना करते हुए अपनी राय भी रखे और ये कार्य बड़े पैमाने पर होने चाहिए तब जाकर कही भ्रष्ट अधिकारीयो कर्मचारियो छुटभैये दलाल टाइप नेताओ की इस भ्रष्ट सरकार मे धुँआधार चल रही दुकानदारी बँद हो सकेगी ।
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